मानसून की भारी प्रतीक्षा की, पर वह कहर बन गया। मानसून की भारी प्रतीक्षा की, पर वह कहर बन गया।
सूखे से झूझती एक किसान की स्त्री के मन की हालत सूखे से झूझती एक किसान की स्त्री के मन की हालत
धरती काँपी, अम्बर डोला, पल-भर में हाहाकार मचा। धरती काँपी, अम्बर डोला, पल-भर में हाहाकार मचा।
वरना पानी के निशान की तरह, तुम्हारा निशान भी नहीं बचेगा बाकी...। वरना पानी के निशान की तरह, तुम्हारा निशान भी नहीं बचेगा बाकी...।
भूख की ज्वाला जलाकर भस्म कर देती हो भूख की ज्वाला जलाकर भस्म कर देती हो
क्या उसे हक नहीं है सम्मान पाने का क्या उसे हक नहीं है सम्मान पाने का