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Rashmi Tiwari

Tragedy

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Rashmi Tiwari

Tragedy

गाँठ

गाँठ

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सूखे की समस्या है कैसी

बुआई को बैठी है जनता ऐसी

इंतज़ार में न बीत जाए समां

किसानों की महफ़िल दुख से रमी,

 

लंबे बालों को संवार, बैठी खिड़की के पास

करती थी बेला अपने आदमी का इंतज़ार

अब बैठी वो झरोखे से देखती है

कब बूंदे करेंगी भूमि पर करार,

 

कब तक महकेगी मिट्टी की सौंधी खुशबू

कब आएगी टर-टर सी आवाज

जब लहलहा उठेंगे पीले खेत

कब तक आएगी ये बहार

सोच रही थी ये सब बेला बैठ घर के बाहर,

एकाएक

 सुनकर चूड़ी वाले की आवाज

 अभी गई ही थी बेला, दौड़ी-दौड़ी उसके पास

 "हरी-लाल, पीली-नीली , हर रंग है आज"

 उदासीनता से वह लौट आई

 देख,

 आज नही थी उसके पल्लू में कोई गाँठ।


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