अगला विश्व युद्ध
अगला विश्व युद्ध
पहाड़ों पर कल-कल करती नदियां,
कहीं गुम सी होती जा रही हैं,
जो सारा साल खेतों की सिंचाई करती थी नदियां,
अब वहीं अपने अस्तित्व को लेकर लड़ रही हैं,
पक्षी भी पानी की तलाश में उड़ते जा रहे हैं,
एक जगह से दूसरी जगह, एक देश से दूसरे देश,
धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं पानी के निशान,
मानव जाति भी त्रस्त हैं पानी के तलाश से,
जाए तो जाए कहाँ इस जहाँ से,
सुना हैं अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा,
तब न इंसान बचेगा ना ही उसकी इंसानियत,
अभी भी वक्त हैं जाग जाओ माटी के पुतलों,
वरना पानी के निशान की तरह,
तुम्हारा निशान भी नहीं बचेगा बाकी...।