तू पास होकर भी करीब नहीं है, शायद खुशनसीबी हमारा नसीब नहीं है। तू पास होकर भी करीब नहीं है, शायद खुशनसीबी हमारा नसीब नहीं है।
कितना डरावना है शक्ल मिलती है मुझसे मेरी आत्मा है वो कह रही है मुझसे कितना डरावना है शक्ल मिलती है मुझसे मेरी आत्मा है वो कह रही है मुझसे
माँ मैं पढ़ना चाहता हूँ, अब मत रोको, मुझ को घर पर, मैं भी पढ़न चाहता हूँ। माँ मैं पढ़ना चाहता हूँ, अब मत रोको, मुझ को घर पर, मैं भी पढ़न चाहता हू...
हाँ गुजरना था बचपन एक दिन गुज़र गया, मगर अपना बचपना खोने ना दूँगी। हाँ गुजरना था बचपन एक दिन गुज़र गया, मगर अपना बचपना खोने ना दूँगी।
इसको को न लजाइये, महाघोर यह पाप। बेटी घर भी आपके, इसे समझिये आप। इसको को न लजाइये, महाघोर यह पाप। बेटी घर भी आपके, इसे समझिये आप।
जीवन के खुशियों की खुदगर्ज नही हूं। जीवन के खुशियों की खुदगर्ज नही हूं।