STORYMIRROR

नसीब

नसीब

1 min
745


वह बोले उन पर

मेरा पूरा हक है,

हैं तो हम एक बस

जिस्मों का फर्क है।


अब कैसे कहें...?

होता हक तो

यूँ आँसू ना बहाते,

एक आवाज से

पास बुला लेते।


हम आपके हैं

और आप मेरे,

बिना हिचकिचाहट

दुनिया को बता देते।


तू पास होकर भी

करीब नहीं है,

शायद खुशनसीबी

हमारा नसीब नहीं है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance