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नसीब

नसीब

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वह बोले उन पर

मेरा पूरा हक है,

हैं तो हम एक बस

जिस्मों का फर्क है।


अब कैसे कहें...?

होता हक तो

यूँ आँसू ना बहाते,

एक आवाज से

पास बुला लेते।


हम आपके हैं

और आप मेरे,

बिना हिचकिचाहट

दुनिया को बता देते।


तू पास होकर भी

करीब नहीं है,

शायद खुशनसीबी

हमारा नसीब नहीं है।।


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