ऐ चाँद
ऐ चाँद
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ऐ चाँद
तुम दूर होकर भी हमारे
बिल्कुल पास रहते हो,
पर कभी भी अपने दिल का
हाल ना कहते हो।
तुम भी तो कभी पूरे
कभी अधूरे होते हो,
ना जाने कौन सा राज
हमसे छुपाते हो।
कर बादलों की ओट
तुम जब छुप जाते हो
लगता है शायद
कुछ हमसे तुम छुपाते हो।
तेरी चाँदनी भी कभी-कभी
माध्यम सी होती हैं,
किया कभी तुम भी
उससे रूठ जाते हो।
कुछ तो बोलो रे चंदा ,
क्यों अपना गम हमसे छुपाते हो,
ऐसी भी क्या नाराजगी हमसे,
क्यों ऐसे छुप छुप कर
हम को सताते हो।