तूं खुदा
तूं खुदा
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क्यों बांट दिया एक ही खुदा को,
क्यों रख लिए खुदा के इतने नाम।
क्यों बांट लिया उसको जात-पात में,
क्यों हो रहा धर्म के नाम पर कत्लेआम।
या तो तूं इंसान नहीं है,
या तुझ में ईमान नहीं है।
कैसे खुश होगा खुदा,
अगर इन्सान ही बन बैठा हैवान।
तेरे अंदर जो बैठी आत्मा,
कुछ और नहीं वही है परमात्मा।
प्यार का तुम दीपक जला लो,
रोशनी हर तरफ मोहब्बत की फैला लो।
तोड़ दो दीवार तुम भेदभाव की,
इंसानियत वाला धर्म अपना लो।
देश बन जाए सच में महान,
अगर हो जाए खुद की पहचान।