"बाल मनुहार "
"बाल मनुहार "
माँ देखो,
यह कहाँ जा रहे,
मैं भी,
जाना चाहता हूँ,
कुछ पढ़ लिखकर,ऐसा मैं,
यह दृश्य,
बदलना चाहता हूँ।
जो कर रहे हैं,
श्रम बाल में,
मैं उनको,
अधिकार दिलाना
चाहता हूँ,
बस,
अब ना रुको,
मुझ को घर पर,
मैं भी पढ़ना चाहता हूँ।
चाहता हूँ,
बदलाव देश का,
हर बालक,
अनविज्ञ न होगा,
आखर,
हलचल होगी अब,
यह राग,
सुनाना चाहता हूँ।
जन्म दिया है,
तो जीने दो,
अब कुछ,
पढ़ने लिखने का,
हक़ भी दो,
यह संघर्ष करूँगा,
बस उनको,
उनके बाल अधिकार,
दिलाना चाहता हूँ।
माँ,
यह सब करने के लिए,
पढ़ना चाहताहूँ,
माँ मैं पढ़ना चाहता हूँ,
अब मत रोको,
मुझ को घर पर,
मैं भी पढ़ना चाहता हूँ।
