प्रेमप्रसंग
प्रेमप्रसंग
मेरा प्रेम प्रसंग,
मात्र इतना ही रहा,
क्षणिक,
अनुभूति हुई मात्र,
इस प्रकृति से,
इस सृष्टि की सुंदरता से,
जीवों को,
आलिंग्न होते हुए,
नव सृष्टि के विकास में,
प्रेम की,
परिभाषा को,
रोचकता और आकर्षण से,
उस क्षण की,
सार्थकता को,
परिभाषित करता हुआ
मेरा प्रेम प्रसंग,
मात्र इतना ही रहा।

