बस अब यह ख्वाब बुरा आता है
बस अब यह ख्वाब बुरा आता है
यह तो अब मन हटाता ही नहीं,
कई बार सोच भी लेता हूँ,
अब वो बात रही कहाँ,
जब मैं बेटियों का बाप होता हूँ।
रोज के समाचार पत्र सुर्खियां,
दिल दहला देती है,
आज कुछ बेटियों के साथ गलत हुआ,
कल वो जला देती है।
बस अब यह ख्वाब बुरा आता है,
बेटियों का होना भी सीने पर भार होता है,
कैसे हिफाजत करू मेरे ख़ुदा,
बेटियों का बाहर जाना भी संकट होता है।
दिल को तसली मिलती ही नहीं,
बस जब यह बुरा ख्वाब होता है।
आपसे क्या अनुरोध करूँ,
बेटियां बाप की मरी होती है।
समाज तो नशे में डूबा हुआ है,
जिनके बेटे है वो उठा हुआ है,
उनसे गुनाह क्या हुआ है यहाँ
जो हर मोड़ पर बेटियाँ लूटी हुई है।