STORYMIRROR

Hajari lal Raghu

Abstract

3  

Hajari lal Raghu

Abstract

उनसे कोई रिश्ता नहीं

उनसे कोई रिश्ता नहीं

1 min
282

उनसे कोई रिश्ता नहीं

फिर भी वो अपना है

उम्र के इस पड़ाव में

दोस्त अब सपना है।


रिश्ते रातों के साथ ढलते हैं

दोस्त आज भी खलते हैं

एक साथ रहना अब मुश्किल है

वो दिन अब कहाँ मिलते हैं।


दोस्तों के साथ एक दिन

अब भी मिल जाये

कुछ मुरझे चेहर खिल जाये

रति भर ख़ुशी ही सही

मेरा दोस्त आज फिर मिल जाये।


मेरे लिए वो मैं उसके लिए

कहाँ हूँ

वो दूर चला गया किसी खोज में

और मैं यहाँ हूँ।


उनसे कोई रिश्ता नहीं

फिर भी वो अपना हैं

उम्र के इस पड़ाव में

दोस्त अब सपना है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract