उनसे कोई रिश्ता नहीं
उनसे कोई रिश्ता नहीं
उनसे कोई रिश्ता नहीं
फिर भी वो अपना है
उम्र के इस पड़ाव में
दोस्त अब सपना है।
रिश्ते रातों के साथ ढलते हैं
दोस्त आज भी खलते हैं
एक साथ रहना अब मुश्किल है
वो दिन अब कहाँ मिलते हैं।
दोस्तों के साथ एक दिन
अब भी मिल जाये
कुछ मुरझे चेहर खिल जाये
रति भर ख़ुशी ही सही
मेरा दोस्त आज फिर मिल जाये।
मेरे लिए वो मैं उसके लिए
कहाँ हूँ
वो दूर चला गया किसी खोज में
और मैं यहाँ हूँ।
उनसे कोई रिश्ता नहीं
फिर भी वो अपना हैं
उम्र के इस पड़ाव में
दोस्त अब सपना है।
