कोठे का अधूरा प्यार
कोठे का अधूरा प्यार
अब यूँ ना देखो मुझे मुड़ मुड़कर
याद रखना तीर नजरों से हम भी चलाते हैं
इश्क करने का इरादा है तो लौट जाओ
आप जैसे तो यहां हर रोज ही आते हैं
पहले आओगे फिर दिल बहलाओगे
हां बेशक प्यार भी खुद दिखाओगे
मुझे मनाने खातिर बाद में तुम
दौलत और शोहरत भी लुटाओगे
जाने कितने दिलफेंक आशिक देखे है
बारह बरसों से इस कोठे में रहकर
हर कोई इश्क निभाता है लेकिन
सिर्फ अपनी जुबान से कहकर
एक दफा मैंने भी किसी मनचले को
अपना महबूब बनाया था
दिल तो मेरा तब ही पिघला था जब
उसने बाहों में मुझे महफूज बनाया था
बात जब प्यास की आतीं है तो
लोग यहाँ हमारे कोठे पर आते हैं
पर बात प्यार की आतीं हैं तो
उसे ब्याह कर अपने घर ले जाते हैं
पर अब फिर से पहले की तरह
सिर्फ दिल में रहना नहीं है मुझे
प्यार हैं तो घर में रख कर दिखाओ
इससे आगे कुछ कहना नहीं है मुझे!
