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Dr J P Baghel

Tragedy

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Dr J P Baghel

Tragedy

दोहे सुल्तानी -३

दोहे सुल्तानी -३

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जिम्मेदारी छोड़कर, भागा जो इंसान 

मूरख थे हमने उसे, बना दिया सुल्तान ।१


जिसने पाली ही न हो, खुद कोई संतान 

संतानों से प्रेम क्या, जाने वह सुल्तान ।२


जिसका हो न कुटुंब को, कोई भी अवदान 

क्या देगा वह देश को, बना अगर सुल्तान ।३


पत्नी को जिसने कभी, दिया नहीं हो मान 

संवेदना विहीन ही , होगा वह सुल्तान । ४


बेटी पाली ही नहीं, दिया न कन्यादान 

क्या बेटी के मर्म को, जाने वह सुल्तान ।५


जिसने देखा ही नहीं, घर परिवार मकान 

मित्रों पर बरसाएगा, प्रेम वही सुल्तान ।६


किसकी भी माने नहीं, सुने न देकर कान 

औरंगजेब समान ही, होगा वह सुल्तान ।७


जो जारी करता रहे, तुगलक-से से फरमान 

तड़पाएगा देश को, ऐसा ही सुल्तान ।८


बोल मदारी की तरह, चुटकी भरे बयान 

जनता को बंदर न क्यों, समझे वह सुल्तान ।९


दास बनें मजदूर सब, बंधुआ बनें किसान 

तैयारी में जोर से, लगा हुआ सुल्तान ।१०



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