दोहे सुल्तानी -९
दोहे सुल्तानी -९
दीखा नहीं कतार में, कोई भी धनवान,
नोट बदल कर ले गए, कैसे वे सुल्तान ?१
हुई नोटबंदी विफल, गईं सैकड़ों जान,
नकली नोटों का चलन, रुका नहीं सुल्तान ।२
सपना बेच बुलेट का, दूर हटाकर ध्यान,
रेलें तुमने बेच दीं, जो भी थीं सुल्तान ।३
संरक्षित सोना बिका, बिका देश का मान,
क्या थीं वे मजबूरियां, बतला दो सुल्तान ।४
लोकतंत्र ने कर लिया, अद्भुत अनुसंधान,
बन जाना संभव हुआ, वोट बिना सुल्तान ।५
निजी हुए जल का, जगत, देख चुका नुकसान,
भारत का बोलीविया, मत करना सुल्तान ।६
तुमने सारे कम किए, जनता के अनुदान,
रचा रहे हो ढोंग भी, जनहित का सुल्तान !७
तुम पर तो नेपाल भी, रहा भृकुटियां तान,
इतना बट्टा क्यों लगा, इज्जत में सुल्तान ? ८
घुस आया है दूर तक, सीमा में शैतान,
झूले वाली मित्रता, कहां गई सुल्तान ?९
बोले थे डर जाएगा, डरा न पाकिस्तान,
छप्पन का जो था कहो, कहां गया सुल्तान ?१०