STORYMIRROR

Dr J P Baghel

Tragedy

4  

Dr J P Baghel

Tragedy

दोहे सुल्तानी -७

दोहे सुल्तानी -७

1 min
205


राष्ट्र दूध की गाय है, जनता है मैदान, 

राष्ट्र-सेठ दोहन करें, राजी है सुल्तान ।१


झूठा साबित हो गया, सौ दिन का ऐलान 

फांसी पर धन के बिना, चढ़ा नहीं सुल्तान ।२


चोरी-चोरी आ गया, विस्फोटक सामान 

चौकी पर तैनात था, खुद ही जब सुल्तान ।३


कर डाले दीवालिया, सरकारी संस्थान 

निजीकरण की नीति पर, कायम है सुल्तान ।४


ज्यादा सस्ती हो गई, तब दलितों की जान 

पिछड़ा बनकर बन गया, जब कोई सुल्तान ।५


<

p>हिंदू मुस्लिम द्वेष की, जब से खुलीं दुकान 

आसानी से बन गया, दंगाई सुल्तान ।६


प्रेम बहिर्धर्मी दिखा, उठे मुट्ठियां तान,

अभिजातों के प्रेम पर, क्यों चुप हो सुल्तान ।७


धनिकों ने जो कर दिया, बैंकों को नुकसान, 

जन के धन को ले लिया, वाह-वाह ! सुल्तान ।८


बन न सके नेपाल हम, बनना था जापान,

किस विकास की ओर तुम, ले आए सुल्तान ।९


सरकारें बिकने लगीं, बिका देश का मान,

सत्ता पर काबिज हुआ, व्यापारी-सुल्तान ।१०


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy