मेरे अपने
मेरे अपने
कुछ छूट रहा है मुझसे
नहीं
बहुत कुछ छूट चुका है मुझसे
अरमानों की चाहत
वो प्यार भरी मुस्कराहट
लोगों की सुगबुगाहट
खुले अरमानों का गगन
महलों जैसा भवन
रह गया है सिर्फ
सपनों का मटमैलापन
लोगों का तीखापन
जानी पहचानी नज़रे
खुद को महिमा मंडित करते मेरे अपने.....।