रंगोत्सव
रंगोत्सव
1 min
304
मैं रंगो का किरदार हूं
हर चेहरे पर बखूबी नजर आता हूं
उन्माद कितना भी काला क्यों न हो
रंगो के इस फुहारे में
मैं अपना चटक छाप छोड़ जाता हूं...
कुछ ऐसे रंग बिरंगी किरदार हैं
जिनसे मैं रोज मिलता हूं
उनको देखता हूं
समझता हूं
पर वक्त के धरातल में
मैं उन्हें तौल नहीं पाता हूं
कभी पलड़ा भारी
तो कभी हल्का
अंदाज़ो के बिखरे रंगों से
मैं जिदगी के हर रंग से होली खेल जाता हूं
यह रंग कच्चा ही सही
पर हर शब्द पर अपना अभिमान जताता हूं
मैं रंगो का किरदार हूं साहब!
हर किरदार पर रंगोत्सव की भूमिका निभाता हूं...