सर्वश्रेष्ठ उपाधि
सर्वश्रेष्ठ उपाधि
ऐसी उपाधि देने का क्या मतलब है
जिसे लेकर दर-दर भटकना पड़े,
ना किसी से अपनी पीड़ा को उद्घाटित कर सकूं
ना किसी की सुनने में ही आहत होऊं,
मौन ह्रदय से चारों ओर का नजारा अब व्यर्थ हुआ।
बिना नौकरी के यह उपाधि
अब मीठी गोली का बाजार हुआ।
भाई भतीजेवाद की दुनिया में
हर पथ पर जब
रूप रंग का व्यापार हुआ।
उम्र की बेतहांशा सीमा पर
स्वयं की देह आजमाइश पर जब प्रहार हुआ।
हर शब्द मुझसे झूठ बोलता रहा
हर वाक्य मुझे चोट करता रहा
आज जवाबदेही किसकी हो......
डिग्री धारकों की,
डिग्री देने वालों की,
उन व्यापारियों की,
या थके हारे अनेकों बार
असफलताओं की सीढ़ी पर चढ़े
उस धावक की....
आज यह एक आखरी मौन है
जो गम्भीर होकर
आप तक पहुंच रहा है
यद्यपि यह शोर लगे
तो धैर्य रखना
अशांति भरी पीड़ा में
शायद मेरा असमय
शांत हो जाना ही बेहतर है
एक आखरी अरदास
एक आखरी प्रयास
मौन हुआ अब धैर्य मेरा
अब शांत होगा विश्वास।