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सुरशक्ति गुप्ता

Abstract

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सुरशक्ति गुप्ता

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प्रेम संदेश

प्रेम संदेश

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मैं चिट्ठियों के सिलसिले को कब तक चलाऊं

 कभी तो उन्हें मैं जी भर कर देख पाऊं....


इतने करीब हो तुम मेरे

पर एहसास दूरियो का होता है

महज कुछ लम्हो का इतजार अब मेरी बेसुधगी को पिरोता है....


वक्त बेवक्त इतने याद न आया करो

छूकर मुझे अपनी बाहों में समाया करो......


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