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Paramita Sarangi

Tragedy

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Paramita Sarangi

Tragedy

"मेरे बाद"

"मेरे बाद"

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ऐसे ही किसी दिन 

कुछ घट जाएगा 

मैं नहीं रहूँगी

यहाँ ...वहाँ और


तुम्हारे आसपास भी

दिन सारे मिट जाएँगे 

महीनों से

वर्ष भी बीत जाएगा

कलेंडर से

तुम सिर्फ आवाज़ दे रहे होगे

मेरे नाम को, अपने सपनों में


मगर मैं तो निश्चिंत हूँगी वहाँ 

अब कैसी प्रतियोगिता 

उधर पहुँचने के बाद

कुछ पाने की इच्छा कहाँ ?


है बस खाली इंतजार 

अनंत काल से , 

उस शून्य के भरने का

मेरे हिस्से में कौन सा रास्ता

अब सोचने से क्या फायदा

और तुम भी कहाँ भोगे थे


मेरे अभिमान को

फिर भी सोचते हो

"काश! मैं वापस आ जाती

तुम्हारे पास, और मिट जातीं

सारी दूरियां"


अगर ऐसा है तो 

महसूस करो मुझे

स्वीकार करो

मृत्यु जैसा कुछ नहीं है

मेरे जाने के बाद भी।


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