Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Paramita Sarangi

Tragedy

4  

Paramita Sarangi

Tragedy

"खालीपन"

"खालीपन"

1 min
331


अब मैं देख रही हूँ

अनाथालय के साथ साथ

वृध्दाश्रम की संख्या भी

बढ़ रही है

ग़रीबी में परिवार का महत्त्व था

एक कमरे में दस लोग रहते थे

प्यार भी रहता था

अभी घर बड़ा है

लोग कम है

फिर भी प्यार के लिए

जगह नहीं है

झगड़ों ने कमरे में

बिस्तर डाल दिया है

दिल ने अपनी खिड़की

बन्द कर रखी है!


अब दिन अपना नहीं

रातों में सपना नहीं

अस्त-व्यस्त है अपनापन

खो गया है विश्राम का क्षण

रात का मुखौटा पहन 

चारों तरफ

घुल रहा है अकेलापन

बंद दरवाजे की ओट से

बिखरने लगा है

एक अनजाना मौन

फिर कुछ चतुर लोगों ने तो

उनके घर में टंगे चित्र को ही

अपना वारिस मान लिया है!


और बेबसी में मैं 

कुछ पराएपन को

अपने आसपास 

आईने की चमक समझकर

खाली कविता ही लिखती

रहती हूँ ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy