रंग
रंग
पिछले साल एक सवाल था
होली के रंग का मलाल था
इस होली मैं भी थोड़ी सी रंज है
ख्वाइश अधूरी
रंग भी थोड़ा तंग है
तुमसे आज दूर हैं हम
इस रंग बिरंगी होली में
जैसे किनारा कब से प्यासा है
अपने ही दरिया के पास
एकबार होली में
जमी थी महफ़िल मेरे घर में
धुल रहा था तेरे हाथों का रंग
मेरे गालों की लाली में
आज तेरा जिक्र छिड रहा है
दिल-ए-नादान
और चेहरा मेरा गुलाबी से
रंग में बदल रहा है
थोड़ी ही देर में
नये रंग का इंतजाम कर देंगे
अपने चहरे में
कुछ रंगों के फसाने भर देंगे
क्योंकि
न जाने तुम्हे कौन सा रंग
कब पसंद आ जाए।