प्यार, एक खूबसूरत एहसास
प्यार, एक खूबसूरत एहसास
जब उससे पहली बार आंख मिली,
दिल में बाईबरेशन उठी,
और उसकी बाईबरेशन से जा मिली,
फिर तो क्या था,
दिन रात उसके ख्बाब,
उसकी हर बात का ख्याल,
उसको छुप-छुप के देखना,
मन ही मन आहें भरना,
कई बार उसकी झुठी तारीफ भी करना,
उसका बेसब्री से इंतजार करना,
अगर न आए,
तो बेचैन लगना,
अगर हो जाए खटपट,
तो बस बंटाधार होना,
किसी भी काम में मन न लगना,
बस हर वक्त उसका
ख्याल दिमाग में चलना,
अगर कोई उसकी करें आलोचना,
तो उसका समर्थन करना,
यहीं से हुआ एहसास,
कि मुझे हो गया था प्यार।
परंतु एक बात का ध्यान रखना,
प्यार और काम में एक संतुलन बनाना,
अगर कहीं प्यार में आ जाए कठिनाई,
तो कम से कम काम की न हो ऐसी-तैसी।

