मोहब्बत अधर्मी है
मोहब्बत अधर्मी है
कभी सोचा आपने की जो आशिक होते हैं,
वह बड़े अजीब होते हैं,
वह जहां इकट्ठे हो जाते हैं वही जगह उनकी मस्जिद,
मंदिर, गुरुद्वारा या गिरजाघर हो जाती है।
अच्छा इन जगहों में कोई मूर्ति नहीं होती है,
लेकिन फिर भी मोहब्बत की इबादत बहुत शिद्दत से निभाई जाती है,
अब आप मसलन जिन जगहों के मैं बात कर रहा हूँ
उनको ले लीजिए चाहे वह पार्क हो,
चाहे वह सिनेमाघर के कोने की सीट हो या फिर ऐसे मार्केट,
जहां पर यह जोड़े मिलना पसंद करते हैं,
चाहे वह आपका लखनऊ का गंज हो या फिर दिल्ली का कनॉट प्लेस,
इंडिया गेट या फिर बुद्ध जयंती पार्क ऐसी ही
तमाम जगह आपके अपने शहर में भी होंगी,
इन जगहों की अपनी एक खासियत होती है,
वो खासियत क्या है,
वह खासियत यह है कि,
इन जगहों पर ना कोई हिंदू होता है,
न मुसलमान होता है,
ना कोई ईसाई होता है,
या यूं कहें कि,
इन जगहों का कोई मज़हब नहीं होता,
इन जगहों पर अगर ईमानदारी से कुछ भी चीज होती है,
तो वह सिर्फ मोहब्बत होती है,
मोहब्बत का इजहार,
हाँ इजहार करने के तरीके मुख्तलिफ हो सकते हैं,
लेकिन कुल मिलाकर बात एक ही होती है वह होती है मोहब्बत,
इश्क,
प्यार,
तो जनाब अगर यह जगह और यह लोग आपके आसपास में दिखते हैं तो,
इनको परेशान मत कीजिएगा क्योंकि यह वह सच्चे लोग हैं,
जो मजहब,
जात पात इन सभी दर-ओ-दीवार से ऊपर हैं,
यहां सिर्फ एक जश्न होता है,
वह होता है मोहब्बत का,
इश्क का,
तो कभी आपका मन करे,
कि आपको भी जश्न मनाना है,
तो आप भी इन जगहों का रुख़ करें,
यकीन मानिए आप मोहब्बत से सराबोर होकर लौटेंगे ।।