शर्ट
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तुम्हें याद तो होगा
आखिरी दफ़ा जब तुम आये थे
कितनी तेज़ बारिश हो रही थी
और तुम,
पूरी तरह से सराबोर हो गए थे
वो तुम्हारी भीगी शर्ट डाल दी थी
सूखने वहीं बालकनी में
और तुम, हमेशा जल्दी में रहते थे
इनकी शर्ट पहनकर चले गए थे
सूखने के बाद तुम्हारी वो लाल शर्ट
हाँ हाँ वही तुम्हारी फ़ेवरिट रंग की
अपनी अलमारी में रख दी है
अपने ही कपड़ों के बीच में
सोचा कि तुम्हें तो रोक न सकी
लेकिन तुम्हारी शर्ट के साथ शायद
तुम्हारे बदन की वो ख़ुशबू जो
दीवानगी थी मेरी,
ठहर जाएगी मेरे उन सभी कपड़ों में
जो लिपटकर तहों में ठहरे थे
तुम्हारी शर्ट के साथ,
वो ख़ुशबू जो ठहर गयी वही कपड़ों में मेरे
अब ख़ास रूमानी एहसास देते हैं
तुम जो बस गये थे ख़ुशबू बनकर
और मैं थी सराबोर तुम्हारी ख़ुशबू में।