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Alok Singh

Abstract

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Alok Singh

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ख़्वाब हैं ये

ख़्वाब हैं ये

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ख़्वाब हैं ये,

मैं सारे चुन कर लाया हूँ,

सुनो, तुम आ जाना,

रख दूँगा सब सामने तुम्हारे,

रख लेना फिर,

जो हों मुताल्लिक़ तुम्हारे,

बाकी रख लूँगा साथ अपने,


ख़्वाब हैं ये,

गज़ब रौशनी हैं इनमें

कुछ उजले हैं,

कुछ गहरे हैं

कुछ सुर्ख़ हैं,

कुछ सुनहरे हैं

चकाचौंध कर देंगे तुम्हें


ख़्वाब हैं ये

इनमें गुज़रे वक़्त की फरमाईशें तो,

आने वाले वक़्त की आज़माइशें हैं,


ख़्वाब हैं ये,

जज़्बात के रंगों में डूबे हुए,

उजली मासूमियत है,

स्याह हक़ीक़त है,

सतरंगी रिश्ते हैं,

सफ़ेद मर्म ए

हसास हैं,

गहरा नीला फरेब है,

हल्का नीले अरमान हैं,

हरियाली उम्मीदें हैं,

पीला पड़ता ज़मीर है,

धुंधला होता राबता है,

वहीं दुबककर कोने में,

ख़ौफ़ ज़दा मटमैला बचपन,


ख़्वाब हैं ये,

हर रंग की दुशाला ओढ़े,

मैं तो ले आया हूँ,

सब पास तुम्हारे,

ऐतिहात से चुनना तुम,

एक गलती के बाद

यहाँ फेरा ज़रा लंबा है

मुमकिन है

उम्र गुज़र जाए

ख़्वाब अगला चुनने की ख़्वाहिश में

इसलिए चुनो सलाहियत से

क्योंकि,

मैं ख़्वाब सारे चुन कर लाया हूँ

सुनो, तुम आ जाना

रख दूँगा सब सामने तुम्हारे

रख लेना फिर

जो हों मुताल्लिक़ तुम्हारे

ख़्वाब हैं ये…!




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