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usha shamindra

Abstract

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usha shamindra

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नहीं चाहिए

नहीं चाहिए

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मुझे अंधेरे मे रहने दो

मुझे उजाला नहीं चाहिए।


मुझे भ्रमित ही रहने दो

तर्क तुुम्हारा नहीं चाहिए।


मुझे आज को जी लेने दो

कल का ब्योरा नहीं चाहिए।

 

मुझे गगन मे उड़ने दो

थल का सहारा नहीं चाहिए।


दो पल का जीवन है 

अपने ढंग से जी लेने दो 


सीख तुुुुुुम्हारी

नहीं चाहिए ।

 


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