वो
वो
उसके पास कहने को बहुत कुछ है
मन मे बहुत कुछ कुलबुलाता है
मन करता है
किसी से छोटी छोटी बात करे
विचारों का आदान-प्रदान
अपनी भावनाओं ,
अपनी इच्छाएं
और चर्चा करे
जीवन के उतार चढ़ाव ,
खट्टे मीठे कड़वे अनुभवों की।
जीवन मे जो मिला ,न मिला
और जो मिला जब छिना
उसकी कसक।
सब कहे बार बार
जब तक शान्त न हो जाए
उमड़ता घुमड़ता अन्तस्
पर कोई नहीं , कोई है भी नहीं
किसके पास
फ़ुरसत है।
सब तरफ दौड़
जाने किस बात की ।
वैसे उन्होंने कहा दिया है
खाओ पियो एक तरफ पड़ी रहो
बीच मे मत बोलो।
अब इस उम्र मे और करोगी भी क्या ?
सच है
कौन सुने बातें बीते जमाने की
कौन उतरे ठहरे पानी मे
जब सामने हो कल-कल करती
भागती-दौड़ती नदी
तन-मन ऊर्जा से परिपूर्ण।
कौन सोचे
आज का आज
कल का कल हो जाएगा
शरीर शिथिल
जोड़ झूठे।
सब दौड़ खत्म।
एक कमरे मे
फिर एक बिस्तर पर
सारा संसार सिमट जाएगा
वक़्त ठहर जाएगा ।