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usha shamindra

Children

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usha shamindra

Children

मां ने कहा

मां ने कहा

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मां ने कहा 

अब तुम बड़े हो गए हो

समझदार हो गए हो

६ साल का बड़ा मै

सोचने लगा 

 छोटा कब था।

३ साल की उमर से

कभी पूरी नींद नहीं सोया


मां के सहज प्यार दुलार

की जगह 

हर सुबह आंख खोलती 

मां की तनाव भरी तीखी आवाज

उठो उठो देर हो जायेगी

बस निकल जाएगी

स्कूल नहीं जा पाओगे

पढ़ाई बरबाद हो जायेगी


अभी नींद की खुमारी जा भी न पाती

रात भर के बाद बचपन 

कुछ खा भी न पाता

कि बस का हार्न बजता

मां हड़बड़ा के

रोटी का फूंका बना

हाथ मे थमा

मेरा बस्ता पानी की बोतल उठा

मुझे घसीटती, बस की ओर झपटती

भागती भागती , हांफती हांफती कहती

बेटा ठीक से पढ़ना

ध्यान से पढ़ना

टेस्ट मे अच्छे नम्बर लाना

फर्स्ट आना।


मुझे कुछ समझ न आता

पशोपेश मे रोटी का फूंका

 हाथ से छूट जाता


चलती बस मे मैं 

गिरता , सन्तुलन बनाता

सीट पर गुमसुम बैठे जाता।

कुछ भी अच्छा नहीं लगता

नींद आती ,मन घबराता।


आगे दौड़ती बस 

पीछे छूटते लोग

भागते बादल 

ऊपर नीचे लहराती 

बिजली की तारें

उड़ते पक्षी

मैं डूब जाता 

सब भूल जाता।


चार घन्टें 

टीचर आते चीखते , चिल्लाते,

 डांटते , फटकारते , 

झिडकते , पीटते , भाषण देते।



मैं लिखता , थकता

फिर  लिखता।

ऊंघता , डांट खाता


रिसेस 


घन्टी बजती

भूख

ठन्डा खाना

जी मिचलाता

सब गड्ड-मड्ड।


घर आता

ढेर सा होमवर्क।


अब बोझ उठाना 

आदत बन गई है।

मां खुश है

मैं अब बड़ा हो गया हूं

समझदार हो गया हूं।


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