सत्य
सत्य
किताबों में
पढ़ा, सुना
सत्य अटल है
अमर है
और ये भी
सत्य सीधा है
सपाट और
निरन्तर भी।
न कोई टेढ़-मेढ़
न कोई जोड़ तोड़।
आज के सन्दर्भ मे
सब गड्ड-मड्ड।
सत्य
कब
किसने
किधर से
देखा
कहा
अपने ही गणित से
समझा।
सत्य है
तेरा मेरा
इसका उसका
स्त्री का पुरुष का
बहन का भाई का
अमीर का गरीब का
अध्यापक का विद्यार्थी का
अफ़सर का नौकर का
जनता का
और फिर
मन्त्री का।
हम अटके रहे
सूंड कान पांव धड़ मे
और पूर्ण हाथी
रहा अगम्य।