आतंक
आतंक
शहर से रौनक
रौनक सेे शहर
मत छीनो।
औरतों का सजना
सज कर निकलना
चमकीले भड़कीले रंगों से
बाजार की रौनक
मत छीनो।
साझ ढले थके हारे कदमों से
घर आना
पैर धोना पसर जाना।
खाना पीना ठहाके लगाना
घरों की रौनक
मत छीनो।
दूर कहीं
अकेले मे
अठखेलियां करना
पिकनिक मनाना
फुसफुसाना बतियाना
लजाना मोती बिखेर देना
वीरानो की रौनक
मत छीनो
चौपालो मे पेड़ के नीचे
या किसी पार्क मे
इक्कठे बैठना गाना बजाना
विचार करना
दुःख सुख बांटना।
गिले- शिकवे -शिकायतें
जीवन केे बहु रंग।
मत छीनो
यूं भी
मौत कब कैसे
आ गर्दन दबोच
साथ ले जाए।
जीते रहने की ललक
जीवन की रौनक
मत छीनो।