कपूर की तरह
कपूर की तरह
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कपूर की तरह
उड़ चला ये
पहलू भी जिंदगी का ।
मुुुुट्टठी में बंद रेेत से
हम भ्रमित ही रहे
कि समय को
कैद कर लिया है
इन शक्ति शाली
हाथों ने।
पर फिसलती ही रही
अनजाने में रेत
और रीता हो गया
हाथ येे।
पर
कुुछ कण चिपक कर
कसक गए हाथ की रेखाओं पर
और गहरा गईं
रेखाएं सभी ।