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Vandana Srivastava

Children Stories Inspirational

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Vandana Srivastava

Children Stories Inspirational

मासूम बचपन

मासूम बचपन

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बच्चों देखो यह दुनिया कितनी रंगीन,

बंधकर जीवन में मत करो इसे संगीन,

बाहर जाओ खेलो कूदो मौज मनाओ,

जीवन के जंजाल में अभी से फंस मत जाओ..!!


बाहर निकलो देखो तितली के सुंदर पंख,

हवा संग डोलता हुआ फूल बड़ा मदमस्त,

कागज की नाव बनाकर पानी में चलाओ,

बच्चों अपना बचपन जी लो बड़े नहीं बन जाओ..!!


चॉंद की पकड़ कर डोर छत पर अपने ले आओ,

संग सितारों के करो मस्ती भोर को स्कूल जाओ,

सूरज की किरणों को पकड़़ कॉंधे अपने बैठाओ,

मोबाइल में गेम खेल कर अनमोल समय ना गंवाओ..!!


देखो बारिश की बूंदे संग तुम्हारे उछल रही हैं ,

सात रंगों से रंगा इंद्रधनुष संग तुम्हारे मचल रहा है,

लेकर पंख उड़ान भरो गगन को खुद में समा लो,

पर एक पॉंव धरती पर रख अहम मन में ना लाओ..!!


चाकलेट ,आइसक्रीम कैण्डी बर्गर और टॉफियॉं

राजू गुड्डू मुन्नू खेल खेलते और बनाते रेल गाड़ियॉं,

गुब्बारे,बाइस्कोप,साइकिल,कंचे और छुपन छुपाई,

खेल खेलो बाहर घर में अन्दर मत टाइम पास करो..!!


बचपन के दिन बड़े सुहाने बच्चे मासूम होते हैं ,

कह देते हैं बातें मन की जी खोल कर रो लेते हैं ,

कल को याद करोगे ये नादानियॉं ,शैतानियॉं जब बड़े हो जाओगे,

याद आयेगा बहुत ये बचपन जब जिम्मेदारियॉं उठाओगे..!!


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