बचपन
बचपन
ए दाता देना ही है अगर कुछ मुझे,
तो मेरा बचपन दिला ज़रा|
फिर से अपने छोटे पाओं से
मुझे घर घूम आना है|
अपने छोटी सी मुस्कान से
सबको फिर से खुश करना है|
इस बड़े हो गए दिल को
छोटा कर दे ज़रा|
ए दाता देना ही है अगर कुछ मुझे,
तो मेरा बचपन दिला ज़रा|
फिर से उस सावन मे
बेसुध होके नाचना है|
मचलते हुए नदी के पानी में
फिर से अपनी कागज की नांव छोड़ना है|
बगीचे के वो झूले पे झूलने दे ज़रा|
ए दाता देना ही है अगर कुछ मुझे,
तो मेरा बचपन दिला ज़रा|
स्कूल में दोस्ते के साथ फिर से
बर्फ के गोले खाने हैं|
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और गाँव के तालाब में
बेफिक्र गोते लगाने है|
चिड़िया का वो चहकना सुनने दे ज़रा|
ए दाता देना ही है अगर कुछ मुझे,
तो मेरा बचपन दिला ज़रा|
मिटटी के खिलोने बनाके
फिरसे उनसे खेलना है|
टूट गए खिलौने तो मन भरके रोना है|
बचपन की उन यादों में बहने दे ज़रा|
ए दाता देना ही है अगर कुछ मुझे,
तो मेरा बचपन दिला ज़रा|
बचपन के उस गली में फिरसे मुझे जाना है|
पुराने उन लम्हो को फिर से
आंखो में बसाना है|
एक जैसी लगने वाली
इस ज़िन्दगी से फुरसत दिला ज़रा|
ए दाता देना ही है अगर कुछ मुझे,
तो मेरा बचपन दिला ज़रा|