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Devaram Bishnoi

Children

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Devaram Bishnoi

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अमृता की खैजड़ी

अमृता की खैजड़ी

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शहीद अमृता देवी तू अमर हैं।

सीधी भिंड़त में डरी नहीं।

निहत्थे सैनिकों से लोहा‌ लियों।

रजपुुुतीआण टुट गई।

तिरया पर खड़ग

तलवार चलावा दिवीं।


रण में रणबंका राठौड़ लड़ें।

जद दुश्मन रा चक्का छुुुटे हैं।

पण शहीदअमृता देवी तिरिया छूं

रण बांकुरा राठौड़ा थें।

अनिति कर हार गया।

धर्म रक्षार्थ निहत्थी तिरिया रो शीश थें काट दियों।

हरे वृक्षों को बचाने में शहीद हुएं

363 बिशनोईयों शहीदों परअन्याय कियों।

 पण इतिहास धर्म रक्षार्थ शहीदों ने तो बणाय दियों।


निहत्थे‌ पर रण में वार कदई कौनी करेंह।

अठे रजपुती रण रीआण मर्यादा टुट गई।

रणबंका राठौड़ा धिक्कार हैं।

थारीआ रजपुती निहत्थी तिरिया शहीदों पर

खड़ग तलवार चलाय दिवींह।


शहीदअमृता देवी363शहीद बिश्नोई तोअमर हुुए पण

थारेे राजपुताना इतिहास ने शर्मिन्दा कर दियोंह।

शहीदअमृता देवी तूंअमर हैं।

शहीदअमृता देवी तूंअमर हैं।

363शहीद बिश्नोई तोअमर हैं।

363शहीद बिश्नोई तोअमर हैं।

जब तक सुरज चांद रहेगा शहीदों का नाम रहेगा।

शहीदअमृता देवी तूंअमर हैं।

शहीद अमृता देवी तूं अमर हैं।

       "सिर छाटें रूख़ रहे तो भी सस्तो जाण"

शहीदअमृता तूं उपदेश बिश्नोई समाज ने दे गईं।

              धन्य हैं तेरे मात-पिता तूज

 जैसी शहीद अमृता सिंद्मगणी ने जन्म दियों।


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