STORYMIRROR

Devaram Bishnoi

Tragedy

3  

Devaram Bishnoi

Tragedy

-कुदरत-

-कुदरत-

1 min
16


जिंदगी में हमने खुब थपेड़े झैले हैं 

पर ना कोई शिकवा शिकायत है।।


कुदरत को जो भी मंजूर था 

वहीं जिंदगी ने गुल खिलाए।।

 

अब रोने धोने से क्या फ़ायदा

यदि कुदरत को वहीं मंज़ूर था।।

 

जब रंक को राजा और राजा को रंक 

यदि कुदरत ही बनाने में सक्षम है।।


अल्लाह मेहरबान तो गंधा पहलवान

फ़िर हम दाद फ़रियाद करें किससे।।


ना जाने कुदरत के कितने करिश्मे हैं 

क़दई घी घणा तो कदई मुठ्ठी चणा।।

 

कोई भूखा सोता हैं कोई मीठाई है

फ़िर भी मीठाई को खा नहीं सकता।। 


कवि देवा कहे-

 ईश्वर अल्लाह तेरे नाम 

सबको सन्मति दे भगवान।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy