✌️✌️-मानवता सर्वोपरि-✌️✌️
✌️✌️-मानवता सर्वोपरि-✌️✌️
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तुझसे कितना जलते होंगे,जमाने वाले l
कितनी बार गिरे होंगे तुझे,हराने वाले।।
ये सोच के मेरी,तो रूह कांप जाती हैं।
कैसे होते होंगे वो साजिश,रचाने वाले।।
ना देखते दर्द कितना होगा,देने वाले।
बेशर्मो लजमरो शर्म हया,उन्हें हैं कहां।।
कभी खुद पे बितेगी तब रोयेंगे,जमाने वाले।
पर बचाने वाला ना होगा कोई,ये ताकतें रहेंगे।।
कवि देवा कहें-
भले सामाजिक हित हो
चाहे राष्ट्रहित मानवता सर्वोपरि हैं।।
