STORYMIRROR

Devaram Bishnoi

Abstract

3  

Devaram Bishnoi

Abstract

माता-पिता री सेवा-

माता-पिता री सेवा-

1 min
17

आंखों देखी कानां सूणी 

अबे जद ऐ बातें हुई बैनामी,


बुजुर्गों ने जदे टाबर लोपै

ढुब गई कई ग्वाड़ी दिठी,


जठे राडड़िया रा राज़ दिठा 

बठे कई रिश्ता टुटता दिठा,

 

घर को घर कोल्या हुथो दिठो 

कई ग्वाड़ी रो सर्वनाश दिठो,


एक घर में दोय मता

भलि कांहे से होय,


पति कहे जागरण दिरावा

पत्नी पड़ पाबूजी री रोपी,


कुण सुणे किणने कहूं

कहीं ना जावें बात,


गूंगा मन स्वप्नों भयो

समझ समझ पश्ताय।।


बुजुर्गों रे आशीर्वाद छूं 

कई ग्वाड़ी उभरती दिठी,


कवि देवा कहें माता-पिता री सेवा 

स्वर्ग रो सुयोग्य इंतजाम समझें।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract