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Devaram Bishnoi

Abstract

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Devaram Bishnoi

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सावण भाद्रवा बरसे मेह

सावण भाद्रवा बरसे मेह

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गरजै बादळ फूटरा, मुळकण लाग्या खेत।

करसो बैठ्यो झूंपड़ी, हिवड़ें उपज्यो हेत।।


आभे चमके बिजलियां,नित हातरों बरसे मेह। 

रामभरोसे खेती,ओ आसो जमानो होसि।


सावण भाद्रवा घणो बरसे,मेह आ सुकाल निशाणी।

सुकाल मवेशी चारों घणों,मानखा रे धिणो जिमण घान।।


जय श्री गुरु देव नमः....


कवि देवा कहें मारवाड़ माय इंद्र मेहर सूं

सावण भाद्रवा घणो भारी बरसेला मेह।।


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