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Devaram Bishnoi

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Devaram Bishnoi

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बिश्नोई धर्म शास्त्रार्थ-

बिश्नोई धर्म शास्त्रार्थ-

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मेह कहई देखि चालाकी समझते ना

लागे भाहर भूल के चालाक बचे नी। 


चाहे यत्न करले हजार टेढ़े मेढे जबाव 

चाहेअटपटे उत्तर री करले भले बौछार। 


झूठ सूं सच्चाई कदई कमजोर नहीं 

शास्त्रार्थ सीधी-सी समझो आ बात। 


सच्चाई ने कदई ऐं घोड़ाई नी नावड़े 

झूठ अद बीच में जायई थक जायई।


चाहे तुम कितने ही चालाक बण़ियेंगा

हम कर देंगे चालाकियां का पर्दाफाश।


उनतीस नियम शब्दवाणी उपदेश 

जीवों पे दया रूख़ लिलो ना घावे 

 

आओ शास्त्रार्थ करले क्या हश्र होगा 

जिसका जैसा हम हार जीत सहलेंगे। 

 

कवि देवा कहें खींच मथे खाटोआवें 

शास्त्रार्थ सूं सक्षमता धर्म री फूहार।।


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