पपीया पक्षी अद्भूत प्रजाति
पपीया पक्षी अद्भूत प्रजाति
पपीया तूजे वाह क्या कुदरत।
ने बख़्शी बड़ी अनोखी खुबी।
धरती पड़यो जल तूं पिये नहीं।
मुंखअधर सूं वर्षा बूंद सीधे पीये।।
वैज्ञानिक सोच विचार में पड़े हैं।
प्रकृति शाश्वत सत्य कैसा खेल।।
नास्तिक समझते क्यों नहीं।
क्या बिना ईश्वर ऐसा संभव हैं।।
कोई जीव बिना पानी पिएं।
कभी जिवित रह सकता हैं।।
दुनियां का जन्म मृत्यु दाता।
हैं कोई जरूर एक पालनहार।।
कवि देवा कहें
वाह यह एक कुदरत का करिश्मा हैं।
बुद्धिहीन नर इसे कभी समझत नाय।।
