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GPS Kharti

Tragedy

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GPS Kharti

Tragedy

कैसे कुर्बानियों को भूल जाएं हम भला

कैसे कुर्बानियों को भूल जाएं हम भला

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बटालिक द्रास कारगिल मश्कोह घाटी,

में जवान भारती के डटे थे मैदान में।

धांय धांय गोलियों की होती थी बौछार वहां,

फूटते थे बम देखो जंग के मैदान में।


सीना तान वीरवर अड़ अड़ बढ़ जाते, 

सामने पहाड़ खड़े चढ़ चढ़ जाते थे।

आते देख वैरियों के टूट जाते हौंसले जी,

वीर ऐसे कौशलों से युद्ध लड़ जाते थे।


सांस लेना मुश्किल आम लोगों का था जहाँ,

पीठ पर कई मन गोले वे ले जाते थे।

घात पर घात कर बैठे थे जो छिपकर,

ऐसे बैरियों को नानी याद करवाते थे।


लड़े थे जो मोर्चे में है योगदान उनका भी,

कम नहीं काम ये है तमाम अभिमानी।

जख्मी तो हुए पर बरसाए बम गोले,

थे बोले वे जवान भाषा खूब मरदानी।


जय घोष करते माँ भारती की लाज रख,

जब प्राण तन से संग छोड़ जाते हैं।

हो गए शहीद वीर बलिदानी बंधु वहां,

नम नम आंखों से दुलारे याद आते हैं।


बीता नहीं आज तक कोई पल छिन ऐसा,

आँखों से ना माँ की जब निकला हो पानी।

देखते हैं एक टक फौजियों के वालिदान,

गुमसुम बेटों की

कहानी वह पुरानी।


तार-तार जार जार रात रात जाग जाग,

भाग भाग आंसुओं को सबसे छुपाती रही।

हो गई कलाई सूनी छूट गई बिंदी लाली,

खाली-खाली मांग सब व्यथा जी सुनाती रही।


खूब रोया आसमान, बहा रही जमीन आंसू,

संग संग गमगीन सारी ही फिजाएं हैं।

भर आया मन आक्रोश में है जन-जन,

उठ गए हाथ सभी देने को दुआएं हैं।


स्वर्ग में बैठकर जी दुखी होते वीरवर,

घोषणाएं जब भी अमल में न आती हैं,

माता-पिता भाई बंधु दारा सुत संग, 

घर घर गांव में मायूसी छा जाती है।


भावना संवेदना से भर गया हर दिल,

जीत लिया कारगिल लड़ के कमाल के।

शौर्य बहादुरी की आन बान शान वीर-

गाथाएं तुम्हारी हम रखेंगे संभाल के।


कैसे कुर्बानियों को भूल जाएं हम भला,

मेरे वीर योद्धाओं नमन बार-बार है।

हो गए अमर गाथा सुनेगी तुम्हारी यहां,

हुआ देव तुल्य तुम्हारा अवतार है।


कुर्बानियों को भूल जाएं हम भला कैसे,

मेरे वीर योद्धाओ नमन बार-बार है।

मेरे वीर योद्धाओं नमन बार-बार है।


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