मैं भी नारी, तू भी नारी
मैं भी नारी, तू भी नारी


मैं भी नारी, तू भी नारी
नारी ने ही,
नारी को बना दिया बेचारी।
जब मैं निर्बल नारी थी
हुक्म चलाने नज़रें दिखाने वाली
मुझ पर एक ताकतवर नारी थी।
आज मैं ताकतवर, घर की रानी हूँ
वहीं दोहराती कहानी हूँ
जो सदियों से मेरी विरासतों ने
मुझे सिखाया और पढ़ाया है।
मैंने भी अपने से निर्बल औरत को दबाया है
कल दर्द मेरा जो छलका था
उसी दर्द को मैंने भी छलकवाया है।
कुचली गई थी समस्त औरत जात
जहाँ औरत ने औरत पर अत्याचार किया।
सिर उठा कर खड़ी थी औरत
जहाँ औरत ने औरत का सत्कार किया।