विरोध करना है
विरोध करना है
खेल राजनीति का खेल रहे, नेता और विजेता हैं
गरीब भूखा सो रहा, किसान खुद ही मर रहा
लाज लूट रही नारी की, बढ़ रही बेरोजगारी भी
शिक्षा के मंदिर में भी, अब घुस गए अत्याचारी हैं
देश का अब कौन रखवाला है??
सहना नहीं अब हमें,
विरोध करना है, आगे बढ़ते रहना है।
