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Harsh Singh

Tragedy

4.9  

Harsh Singh

Tragedy

ये कहाँ आ गये हम ?

ये कहाँ आ गये हम ?

2 mins
94


दूसरों की मदद करने वाले आज खुद की परिस्थिति से जूझ रहे 

लोग तो तमाशा देख ही रहे थे कि अब हम भी नज़ारे देखने लगे 

ये कहाँ आ गये हम?

कुछ अच्छा करने कि सोच रखने वालों क्या तुमने किसी के साथ अच्छा किया है 

खैर छोडो तुम तो ऐसे थे ही अब हम भी तुम जैसा बनने लगे 

खुद को इस तरह बदलता देखकर सोचता हूँ 

ये कहाँ आ गये हम?

बड़ा ही गज़ब लगता है जब किसी का मसीहा बनने से खुद को रोकता हूँ 

दूसरे तो समाज से डर ही रहे थे कि अब हम भी उनके जैसे डरने लगे 

आँखे बंद करते हुए सोचता हूँ 

ये कहाँ आ गये हम?

अच्छा ही होता अगर हम ना आते इस दुनिया में कम से कम ये मलाल तो ना होता 

बदलाव के इस चक्र ने धीरे धीरे हमारी ज़िन्दगी को ही बदलना शुरू कर दिया 

इस बदलाव का हर एक पल मुझे ये सोचने के लिए मज़बूर कर देता है 

ये कहाँ आ गये हम?

दूर क्यों जा रहे हो ये सब देखने के लिए अपने आस पास ही देख लो 

खुद को अच्छा बताने वाले हमारे बड़े अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए हमसे कितना कुछ छुपाये हुए हैं 

खुद सच का गला घोंट देते हैं और हमें सच्चाई की राह पर चलने की सलाह देते हैं 

मानता हूँ मैं किताबों की दुनिया हमारी असल ज़िन्दगी से अलग है 

पर कम से कम वहाँ थोड़ा ही सही पर अच्छाई तो है 

खो जाना चाहता हूँ किताबों की दुनिया में कम से कम वहाँ ये तो सोचना नहीं पड़ेगा 

ये कहाँ आ गये हम? 



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