"युद्ध"
"युद्ध"


मिट्टी का चूल्हा
जलती लावे की भाँति
हुई लाल अँगीठी
तपती गर्मी जो
बदन से निचोड़ दे
पसीने का तालाब
एक ढिबरी
जो रह रह के
बुझ जाया करती थी
एक संघर्ष
आँख फोड़ता हुआ
धुओं के बीच
हर बार आँखें मीच
अँगीठी से रोटी निकालना
मुझे याद है
एक ऐसा युद्ध
जो माँ हर रोज
लड़ा करती थी।