अब न जलाना
अब न जलाना
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Hindi
फिर एक घर की रोशनी बुझी
फिर कई मोमबत्तियाँ जलाई गयीं।
जलाते समय एक मोमबत्ती,
कराह कर बोली,
रोज किसी घर की रोशनी बुझने पर,
फिर मुझे जलाकर ,
कुछ कदम चल कर ,क्या होगा ?
क्या कोई रोशनी,
हवस के दरिंदों से बच पाएगी ?
क्या कोई घर रोशनी के बुझने से बच पाएगा ?
जलाना है, तो उसे जलाओ,
जिसने एक मां की कोख जलाई है।
जलाना है तो उसे जलाओ,
जिसने एक पिता की ममता को फांसी लगाई है।
जलाना है ,तो उसे जलाओ,
जिसने एक भाई की राखी से,
अपनी हवस बुझाई है।
रोज ना जाने,
कितनी रोशनी इसी तरह बुझाई जाती हैं,
कभी हवस की आग में ,
कभी घरेलू हिंसा में ,
कभी एक तरफा इश्क में,
कभी बदले की आग में।
कुछ की खबर छप जाती है,
कुछ यूं ही मिट्टी में दफना दी जाती हैं।
कुछ के लिए लड़ाई लड़ी जाती है ,
कुछ यूं ही समझौता कर लेती हैं।
फिर इस मोमबत्ती के जलाने का
औचित्य क्या है ?
बोलते बोलते मोमबत्ती का मोम पिघल गया,
अब ना जलाना मोमबत्ती, यह कह गया।
