STORYMIRROR

usha shukla

Others

4  

usha shukla

Others

कलम दौड़ती है,

कलम दौड़ती है,

1 min
391


जब डूब जाते हैं किन्हीं ख्यालों में ,

वह ख्याल शब्द बनकर उतर जाते हैं,

कागज पर फैल जाती है स्याही,

उन शब्दों के सहारे,

न जाने कितनी दूर तलक चले जाते हैं ।

कलम दौड़ती है मानो जिंदगी में अब कोई विराम ही नहीं,

कलम दौड़ती है मानो जिंदगी में अब कोई आराम नहीं।

कलम दौड़ती है मानो जिंदगी का हर काम तमाम है,

कलम दौड़ती है मानो जिंदगी एहतराम है ।

कलम दौड़ती है मानो जिंदगी की हर खुशी समेट लेगी,

कलम दौड़ती है मानो जिंदगी के हर गम को तमाम कर देगी।

 कलम दौड़ती है मानो जिंदगी में कोई चमत्कार होगा,

 कलम दौड़ती है मानो जिंदगी में कोई नया आविष्कार होगा।

रुकना नहीं है शब्दों को, विराम नहीं देना है ।

यूं ही चलते रहना है।

 जब डूब जाते हैं किन्हीं ख्यालों में,

 वह ख्याल शब्द बनाकर उतर जाते हैं।।


 


Rate this content
Log in