ये इश्क
ये इश्क
ये इश्क भी अजीब अह्सास है,
जिससे होता उससे मिलता नहीं ,
कभी जानने में, कभी अनजाने में
, फिर होता क्यूं है?
अगर होता है, तो मिलता क्यूं नहीं?
जब मिलता नहीं, तो चला जा,
ये यादें क्यों छोड़ जाता है?
साथ यादों को क्यों ले जाता नहीं?
अजीब कशमकश में कस देता है,
कस कस कर दिल को,
चकनाचूर कर देता है,
दिल से ही हुआ ,
तो फिर, दिल बचा पाता क्यूं नहीं?
खामोश निगाहें हर तरफ,
हर शख्स में उसे ढूंढती हैं,
अश्क तस्वीर बना देते हैं,
फिर भी वो मिलता क्यूं नहीं।
सुन जरा, एक वादा कर,
उनके पास नहीं जायेगा,
जिनको मिलना नहीं,
उनको ढूंढ लेगा,
जिनको कभी खोना नहीं,
सुन रहा है ना,
फिर कुछ बोलता क्यूं नहीं।