दशरथ नंदन श्री राम
दशरथ नंदन श्री राम
मेरे राम सबके राम,
अयोध्या में जन्मे, दशरथ नंदन श्री राम।
त्याग की पराकाष्ठा,
प्रेम का उपवन है राम,
नियमों पर चलना, मर्यादा में रहना,
अपना सुख भुलाकर,
सबके दुखहर्ता हैं राम।
यूं ही नहीं कहलाए राम ,
कृपा निधान हैं मेरे राम।
शबरी की कुटिया में पहुंचे,
एक दिन हमारे सीता राम ,
लक्ष्मण को तब हुआ अचरज,
झूठे बेर कैसे खाएं राम।
सच्चे स्नेह को कोई ना समझे,
वो तो समझें मेरे राम,
देख शबरी का स्नेह अद्भुत,
मुग्ध हो गए मेरे राम।
झूठे बेर प्रेम से खाए,
प्रेम का पाठ सिखाते राम।
मेरे राम सबके राम,
दशरथ नंदन श्री राम।।
